विसर्ग लोप संधि - संस्कृत व्याकरण

विसर्ग लोप संधि - संस्कृत व्याकरण

विसर्ग लोप संधि (विसर्ग संधि) प्रमुख रूप से तीन प्रकार से बनाई जा सकती । जिनके उदाहरण व नियम इस प्रकार है -
(A) नियम 1 - यदि संधि के प्रथम पद मे स : / एष : हो और अंत पद के शुरु मे  को छोड़कर कोई अन्य स्वर अथवा व्यंजन  हो तो (:) का लोप हो जात्रा है।
  •  स : / एष :  को छोड़कर अन्य स्वर व्यंजन =  : का लोप
उदाहरण :-
  • स : + एति = सएति 
  • स : + पठति = सपठति 
  • एष : + जयति = एषजयति 
  • एष : + विष्णु = एषविष्णु 
  • एष : + चलति = एषचलति 

(B) नियम - 2 - यदि विसर्ग से पहले अ  हो तथा विसर्ग का मेल अ से भिन्न किसी अन्य स्वर से हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है।
उदाहरण :-
  • अत : + एव  = अतएव 
  • अर्जुन : + उवाच : = अर्जुनउवाच :
  • बाल : + इच्छति  = बालइच्छति 
  • सूर्य : + उदेति = सूर्यउदेति 


(C) नियम - 3  - यदि विसर्ग से पहले  हो और विसर्ग का मेल किसी अन्य स्वर अथवा वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पंचम अथवा य , र , ल , व  वर्णो से हो तो विसर्ग का लोप हो।
उदाहरन :-
  • छात्रा : + नमन्ति = छात्रानमन्ति
  • देवा : + गच्छन्ति = देवागच्छति
  • पुरुषा : + हसन्ति = पुरुषाहसन्ति 
  • अश्वा : + धावन्ति = अश्वाधावन्ति 



अन्य महत्वपूर्ण प्रष्ठ:


विसर्ग संधि  - विसर्ग संधि के प्रकार : -
  • सत्व संधि 
  • उत्व् संधि 
  • रुत्व् संधि 
  • विसर्ग लोप संधि

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