वृद्धि संधि - वृद्धिरेचि, संस्कृत व्याकरण
इस पृष्ठ पर हम वृद्धि संधि का अध्ययन करेंगे !
(क)
अ + ए = ऐ --> एक + एक = एकैक ;
अ + ऐ = ऐ --> मत + ऐक्य = मतैक्य
आ + ए = ऐ --> सदा + एव = सदैव
आ + ऐ = ऐ --> महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
(ख)
अ + ओ = औ --> वन + औषधि = वनौषधि ;
आ + ओ = औ --> महा + औषधि = महौषधि ;
अ + औ = औ --> परम + औषध = परमौषध ;
आ + औ = औ --> महा + औषध = महौषध
वृद्धि संधि के दो नियम होते हैं!
अ, आ का ए, ऐ से मेल होने पर ऐ तथा अ, आ का ओ, औ से मेल होने पर औ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं। जैसे -(क)
अ + ए = ऐ --> एक + एक = एकैक ;
अ + ऐ = ऐ --> मत + ऐक्य = मतैक्य
आ + ए = ऐ --> सदा + एव = सदैव
आ + ऐ = ऐ --> महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
(ख)
अ + ओ = औ --> वन + औषधि = वनौषधि ;
आ + ओ = औ --> महा + औषधि = महौषधि ;
अ + औ = औ --> परम + औषध = परमौषध ;
आ + औ = औ --> महा + औषध = महौषध
अन्य महत्वपूर्ण प्रष्ठ:
- स्वर संधि - अच् संधि
- दीर्घ संधि - अक: सवर्णे दीर्घ:
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