स्वर संधि - अच् संधि - संस्कृत व्याकरण, ( Swar Sandhi - Ach Sandhi - Sanskrit Vyakaran )

स्वर संधि - अच् संधि - संस्कृत व्याकरण, ( Swar Sandhi - Ach Sandhi - Sanskrit Vyakaran )

दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं। उदाहरण– हिम+आलय= हिमालय, अत्र + अस्ति = अत्रास्ति, भव्या + आकृतिः = भव्याकृतिः, कदा + अपि = कदापि।

संस्कृत में संधियां तीन प्रकार की होती हैं-

  1. स्वर संधि - अच् संधि
  2. व्यंजन संधि - हल् संधि
  3. विसर्ग संधि
इस पृष्ठ पर हम स्वर संधि (अच् संधि) का अध्ययन करेंगे !

संस्कृत में स्वर-संधि आठ प्रकार की होती हैं-

  1. दीर्घ संधि - अक: सवर्णे दीर्घ:
  2. गुण संधि - आद्गुण:
  3. वृद्धि संधि - ब्रध्दिरेचि
  4. यण् संधि - इकोऽयणचि
  5. अयादि संधि - एचोऽयवायाव:
  6. पूर्वरूप संधि - एडः पदान्तादति
  7. पररूप संधि - एडि पररूपम्
  8. प्रकृति भाव संधि - ईदूद्विवचनम् प्रग्रह्यम्
संस्कृत में संधि के इतने व्यापक नियम हैं कि सारा का सारा वाक्य संधि करके एक शब्द स्वरुप में लिखा जा सकता है। उदाहरण -
ततस्तमुपकारकमाचार्यमालोक्येश्वरभावनायाह ।
अर्थात् – ततः तम् उपकारकम् आचार्यम् आलोक्य ईश्वर-भावनया आह ।

स्वर संधि के नियम-

1- सजातीय स्वर आमने सामने आने पर, वह दीर्घ स्वर बन जाता है!

(क) अ / आ + अ / आ = आ

  • अत्र + अस्ति = अत्रास्ति
  • भव्या + आकृतिः = भव्याकृतिः
  • कदा + अपि = कदापि

(ख) इ / ई + इ / ई = ई

  • देवी + ईक्षते = देवीक्षते
  • पिबामि + इति = पिबामीति
  • गौरी + इदम् = गौरीदम्

(ग) उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ

  • साधु + उक्तम = साधूक्तम्
  • बाहु + ऊर्ध्व = बाहूर्ध्व

(घ) ऋ / ऋ + ऋ / ऋ = ऋ

  • पितृ + ऋणम् = पितृणम्
  • मातृ + ऋणी = मातृणी

2- जब विजातीय स्वर एक मेक के सामने आते हैं, तब निम्न प्रकार संधि होती है !

  1. अ / आ + इ / ई = ए
  2. अ / आ + उ / ऊ = ओ
  3. अ / आ + ए / ऐ = ऐ
  4. अ / आ + औ / अ = औ
  5. अ / आ + ऋ / ऋ = अर्
उदाहरण- 
  • उद्यमेन + इच्छति = उद्यमेनेच्छति
  • तव + उत्कर्षः = तवोत्कर्षः
  • मम + एव = ममैव
  • कर्णस्य + औदार्यम् = कर्णस्यौदार्यम्
  • राजा + ऋषिः = राजर्षिः

3- परंतु, ये हि स्वर यदि आगे-पीछे हो जाय, तो इनकी संधि अलग प्रकार से होती है!

  1. इ / ई + अ / आ = य / या
  2. उ / ऊ + अ / आ = व / वा
  3. ऋ / ऋ + अ / आ = र / रा
उदाहरण-
  • अवनी + असम = अवन्यसम
  • आदि + आपदा = आद्यापदा
  • भवतु + असुरः = भवत्वसुरः
  • उपविशतु + आर्यः = उपविशत्वार्यः
  • पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
  • मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा

4- उपर दिये हुए “य” और “व” की जगह, “अय्”, “आय्”, “अव्” या “आव्” एसी संधि भी होती है!

  1. ए + अन्य स्वर = अय्
  2. ऐ + अन्य स्वर = आय्
  3. ओ + अन्य स्वर = अव्
  4. औ + अन्य स्वर = आव्
उदाहरण-
  • मन्यते + आत्मानम् = मन्यतयात्मानम्
  • तस्मै + अदर्शयत् = तस्मायदर्शयत्
  • प्रभो + एहि = प्रभवेहि
  • रात्रौ + एव = रात्रावेव

5- परंतु, “ए” या “ओ” के सामने “अ” आये, तो “अ” लुप्त होता है, और उसकी जगह पर “ऽ“ (अवग्रह चिह्न) प्रयुक्त होता है !

  • वने + अस्मिन् = वनेऽस्मिन्
  • गुरो + अहम् = गुरोऽहम्

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